विशेष: हिमा दास के रूप में हिन्दुस्तान को सालों बाद मिली रनिंग क़्वीन

महज़ 19 साल की उम्र में स्वर्ण पदकों का भंडार लगाना कोई आसान काम नही है. मगर हिमा दास ने महीने भर के अंदर 5 स्वर्ण पदक जीतकर करोड़ों देशवासियों का सिर फक्र से ऊंचा कर दिया. असम के एक छोटे से जगह ढिंग में पली बढ़ी हिमा को लोग आज ‘ ढिंग एक्सप्रेस’ से बुला रहे है.
चेक गणराज्य की राजधानी प्राग में हिमा ने 2 जुलाई से 21 जुलाई के बीच में कुल 5 स्वर्ण पदक जीते . विदेश में जाकर मेडल जीतना कितना मुश्किल होता है , इस बात को लेकर पूर्व धावक रहीं सुनीता गोदारा कहती हैं यूरोप मैं जहां 100 से अधिक देश प्रतियोगिता में भाग लेने जाते है और इससे पहले यूरोप हमेशा से टॉप-3 में आकर अपनी बादशाहत कायम करता था. ऐसे में हिमा दास वहां जाकर जीतना भविष्य के लिए एक अच्छा संकेत है.
ट्रैक स्पर्धा में गोल्ड जीतने वाली पहली भारतीय .
अपने मेडल के साथ हिमा दास ने कई रिकार्ड भी अपने नाम किया है. वो ट्रैक स्पर्धा में विश्व स्तर पर गोल्ड मेडल जीतने वाली पहली भारतीय बनी। हिमा से पहले किसी ने ट्रैक स्पर्धा के विश्व चैंपियनशिप में गोल्ड नहीं जीता था. उड़न परी के नाम से मशहूर पी. टी उषा और फ्लाईंग सिख मिल्खा सिंह भी ये कमाल नही कर पाए थे. अंतरराष्ट्रीय ट्रैक पर हिमा दास की ऐतिहासिक उपलब्धि है.
आसान नहीं था सफर.
इस उपलब्धि तक पहुंचने के लिए हिमा दास का सफर बिल्कुल आसान नहीं था .कुल 17 लोगों के बड़े परिवार में हिमा का पालन पोषण हुआ. उनके माता-पिता चावल की खेती करते थे . सचिन तेंदुलकर को अपना आदर्श मानने वाली हिमा दास को हमेशा अपने गुरुओं का साथ मिला. बचपन में एक टीचर ने इनके प्रतिभा पहचाना और इनको दौड़ने की सलाह दी. बल्कि न केवल सलाह दी बल्कि एक एथलेटिक्स कोच से मिलवाया भी. इसके बाद जिला स्तरीय कोच ने हिमा को राजधानी गुवाहाटी में प्रशिक्षित करने के लिए उनके घर वालों को मनाया. उसके बाद आज तक हिमा ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और रिकॉर्ड पे रिकॉर्ड अपने नाम किए.एक इंटरव्यू में हिमा अपने उन गुरुओं के बारे में कहतीं है उनके आशीर्वाद से मैं यहां तक पहुंची .मेरी जिंदगी को यहां लाने में उन गुरुओं का अहम योगदान है.

हिमा दास के पिता रंजीत दास और माता जोनाली दास.
कभी नंगे पांव दौड़ती थी, आज विश्व के सबसे बड़े जूता कंपनी की हैं ब्रांड एंबेसडर.
कभी अपने गांव के खेतों में नंगे पांव भागने वाली हिमा दास आज विश्व के सबसे बड़े जूता कंपनी में से एक की ब्रांड एंबेसडर है. जर्मनी की जूता बनाने वाली कंपनी एडिडास ने पिछले साल हिमा दास को अपना ब्रांड एंबेसडर बनाया. इतना ही नहीं इस कंपनी ने उनका नाम लिखा जूता भी लॉन्च किया. इसी साल उन्हें यूनिसेफ इंडिया और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने भी अपना ब्रांड एंबेसडर बनाया. विज्ञापन बाजार कि विशेषज्ञों का मानना है कि अब बड़ी -बड़ी कंपनियां हिमा दास को अपने ब्रांड से जोड़ने की करेगी.
आधी सैलरी कर दी दान.
बीते दिनों असम में आई भयानक बाढ़ ने लाखों लोगों के जनजीवन को प्रभावित किया है. ऐसे में हिमा दास ने असम के बाढ़ पीड़ितों के लिए अपनी आधी सैलरी दान कर दी.गौरतलब हो कि इससे पहले भी हिमा दास ने अपने गृह राज्य में आए इस त्रासदी के दर्द को झेल चुकीं हैं.
बधाई संदेश से भर गया इंटरनेट.
क्या आम क्या खास हर शक्स इंटरनेट हिमा दास के इस उपलब्धि पर बधाई संदेश भेज रहा है. इसमें देश की बड़ी हस्तियां भी शामिल हैं. बधाई देते हुए प्रधानमंत्री मोदी कहा पिछले कुछ दिनों में आपकी की अभूतपूर्व उपलब्धियों पर भारत को बहुत गर्व है। हर कोई इस बात से बिल्कुल खुश है कि उसने विभिन्न टूर्नामेंटों में पांच पदक जीते हैं। उन्हें बधाई और उनके भविष्य के प्रयासों के लिए शुभकामनाएं।.
हिमा दास के आदर्श सचिन तेंदुलकर ने भी ट्विटर पर बधाई भी दी और बाद में व्यक्तिगत तौर पर कॉल भी किया . बधाई देते हुए उन्होंने कहा जिस तरह से आप पिछले 19 दिनों से यूरोपीय सर्किट में चल रहे हैं।जीत और दृढ़ता की आपकी भूख युवाओं के लिए प्रेरणा है।आपके पांच पदक पर बधाई.भविष्य की दौड़ के लिए शुभकामनाएं.इतना ही नहीं महानायक अमिताभ बच्चन, कप्तान विराट कोहली, अनुष्का शर्मा, अनिल कपूर, अनुपम खेर, सुनील शेट्टी, तापसी पन्नू, अजय देवगन समेत कई नामचीन हस्तियों ने बधाई संदेश भेजे.