गाय काटने पर बवाल, बच्चे को काटने पर कैंडल मार्च…वाकई देश बदल रहा है
कम बोलना मेरी आदत है लेकिन आज समाज के बारे में कुछ बोलने का कुछ शेयर करने का मन कर रहा है। आज समाज की बात इसलिए कर रही हूं क्योंकि अब बात हद से पार होती जा रही है। हर रोज कोई नई घटना, कोई नई वारदात होती है। हम मीडिया के लोग अपने ऑफिस में सीनियर की गाइडलाइन में जितना हो सके लिखते हैं। घटना पर हर दो मिनट में कोई नई स्टोरी अपडेट करने की होड़ मची रहती हैं। अगर इस बीच भी कुछ कमी रह जाए तो उसे फेसबुक, ट्विटर पर हम पूरी कर लेते हैं। घटना से दिल ज्यादा हिल जाएं तो कैंडल मार्च निकाल लेते हैं। अगर कैंडल मार्च मिस कर गए तो अफसोस मत करिए क्योंकि एक कैंडल मार्च के बाद दूसरा कैंडल मार्च निकालने का दिन भी बहुत जल्द आ जाता है।
सोचने की बात ये है कि हम छोटे-छोटे बच्चों को क्या दे पा रहे हैं। टेक्नोलॉजी के मामले में इतना आगे निकल गए हैं कि बच्चों को खुशी ही नहीं दे पा रहे हैं। अरे खुशी छोड़ो हम तो ऑक्सीजन भी नहीं दे पा रहे हैं। ऑक्सीजन गलती से मिल जाए तो बच्चों को सुरक्षा कहां से दें ये सवाल भी हैं। क्योंकि बच्चों पर अटैक कोई दूसरे देश से आतंकवादी नहीं कर रहा है। ये अटैक तो अपने ही देश, अपने ही समाज, या शायद ये बोलना सही होगा कि जिनपर हम भरोसा करते हैं। जिन्हें हम अपने बच्चे का हाथ ये सोचकर धमाते हैं कि वो भी इन्हें अपना बच्चा समझेंगे, इनकी रक्षा करेंगे इनको चोट नहीं लगने देंगे। वही लोग हमारे बच्चे पर अटैक कर रहे हैं। अटैक भी ऐसा वैसा नहीं, बेरहमी की हद पार कर देने वाला अटैक। जिसे सुनकर रूह काप जाए। इतना काप जाए की कैंडल मार्च निकालना ही पड़े। और कुछ दिन हर कोई इतना डर जाए की अपने बच्चों को जरा देर आंखों से ओझल देख पूरा मंजर जहन में फिल्म की तरह चल जाए।
कोई 7 साल के बच्चे को स्कूल में ही चाकू से काटकर लहूलुहान कर देता है, तो कोई 5 साल की बच्ची से रेप करता है और कोई ताइक्वांडो सीखने आए बच्चों को आपनी हवस का शिकार बनाता है। ये सब सुनकर लगता है कि कोई छोटे बच्चे के साथ ऐसा कैसे कर सकता है। अपनी वासना को एक छोटी सी बच्ची के साथ कोई कैसे पूरी कर लेता है ये सोचना समझना मेरे लिए मुश्किल है। ये सब उसी समाज में हो रहा है जहां जानवरों को हक दिलाने की बात होती है। जहां गाय, भैंस को काटने पर बवाल मचता है वहां बच्चे को काटने पर सिर्फ कैंडल मार्च। इतनी तमीज ये वो समाज दिखा रहा है जो गाय काटने के शक पर किसी मुस्लिम की इतनी तुड़ाई करता है कि उसकी जान निकलनी तय हो जाती है। उस समाज में बच्चे की मौत पर सन्नाटा। माफ करिए गाय बोला ‘गौ माता’ बोलना था। माफी इसलिए क्योंकि कोई भरोसा नहीं कब कोई ये बोलने पर मुझपर भी अटैक कर दे। और ये बात साफ कर दूं कि मैं जानवरों को बेइंतहा प्यार करती हूं लेकिन बात इंसान की आए तो मैं इंसान से ही ज्यादा प्यार करती हूं। जो इंसान से प्यार नहीं करता वो बेजुबां जानवरों से प्यार कर ही नहीं सकता है।
पहले लड़कियों की आजादी पर खूब बात हुई। सबने कहां लड़कियां आधी रात को भी सड़क पर बेखौफ चल फिर सकें हम ऐसा समाज बनाएंगे। लेकिन ये सब देखकर तो नहीं लगता है कि कोई भी किसी के भी लिए अब ऐसा समाज बना पाएगा जहां लड़कियां बेखौफ चल फिर सकें, जहां बच्चे खिलखिलाकर खेल सकें। हमारे बच्चे जब स्कूल में ही सुरक्षित नहीं है तो मां बाप कैसे अपने बच्चों को, अपनी लड़कियों को आधी रात घर से बाहर जाने दें। जहां उनके बच्चे दिन के उजाले में स्कूल में ही सुरक्षित नहीं है। मैं तो कहती हूं की लड़कियों की सुरक्षा तो दूर की बात है अब तो लड़कों को भी मत निकलने दो। क्योंकि समाज बीमार है किसी को नहीं छोड़ेगा।
यहां सुरक्षा पता है किसे मिलती है। जो वोट दिलाता है। जिसके लाखों करोड़ों अंधभक्त होते हैं। फिर चाहे वो कितने भी अपराध कर चुका हो सुरक्षा उसे ही मिलती है। सुरक्षा भी ऐसी वैसी नहीं जैड प्लस। हम में से आधों को तो जैड प्लस सुरक्षा के बारे में पता भी नहीं है। इससे आधी सुरक्षा भी अगर बच्चों को दी जाए तो शायद भविष्य सुरक्षित हो। खैर बात बच्चों की कर रही हूं तो उसी पर बोलूंगी। सवाल है कि हम बच्चों की सुरक्षा को कैसे बढ़ाए, कैसे उन्हें बेखौफ खेलने दें, कैसे वो बिना डरे पढ़ सकें। इस बीमार समाज से अपने बच्चों की रक्षा करना बेहद मुश्किल दिख रहा है। चलो बहुत हुई बच्चों की सुरक्षा की बात अब बात सरकार की सुरक्षा की करती हूं। अगर अब भी सरकार बेहोश रही तो वह भी सुरक्षित नहीं रहेगी। जनता अभी तो वोट दे देगी क्योंकि जनता गलती पर गलती करने की आदी हो चुकी है। लेकिन आगे क्या? जब भविष्य ही सुरक्षित आगे नहीं जाएगा, तो अपनी सरकार के लिए भविष्य में वोट किस से मांगोगे। कहां सरकार बनाओगे। किस पर जीएसटी लगाओगे। किससे मन की बात करोगे। शायद सोचने का समय आ गया है। थोड़ा सरकार सोचे थोड़ा हम सोचेंगे। बाकी कैंडल तो है ही अफसोस जताने के लिए। सरकार के लिए भी एक कैंडल मार्च निकाल ही देंगे।