ट्विटर ने वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल के अकाउंट पर लगाया प्रतिबंध, लोगों ने ट्विटर पर लगाया बहुजन विरोधी होने का आरोप.

ट्विटर ने वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल के अकाउंट पर लगाया प्रतिबंध, लोगों ने ट्विटर पर लगाया बहुजन विरोधी होने का आरोप.

ट्विटर इंडिया ने बहुजन चिंतक और वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल के अकाउंट पर लगाया प्रतिबंध. उनके द्वारा इसी साल मार्च महीने में पोस्ट किया गया जिसमें लिखा गया था ,
“2019 लोक सभा चुनाव के लिए बहुजन एजेंडा छप चुका है. इसे तमाम राजनीतिक दलों को दिया जाएगा. जो मित्र इसकी कॉपी छपवाना और बांटना चाहते हैं वो इसकी फाइल के लिए संपर्क करें. ” इसी ट्वीट पर आपत्ति होने के बाद एक नवंबर को ट्विटर ने दिलीप मंडल के अकाउंट पर प्रतिबंध लगा दिया.

ट्विटर ने वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल के अकाउंट पर लगाया प्रतिबंध, लोगों ने ट्विटर पर लगाया बहुजन विरोधी होने का आरोप.

पत्रकार दिलीप मंडल का ट्विटर अकाउंट किया गया सस्पेंड.
File Photo.

इसके बाद ही लोगों ने ट्विटर के इस फैसले का विरोध करना शुरु किया. लोगों ने ट्विटर इंडिया के सीईओ मनीष माहेश्वरी के ख़िलाफ़ बहुजन विरोधी आरोप लगाते हुए #SackManishMaheswari जैसे ट्वीट्स ट्रेंड कराने लगे.
इसके साथ ही ढेर सारे लोगों ने #RestoreDilipMandal और #CastiestTwitter जैसे हैशटैग्स से ट्वीट्स करने शुरू कर दिए.

इसके समर्थन में भीम आर्मी के संस्थापक और दलित नेता चंद्रशेखर आजाद ने इसे बहुजन विरोधी बताते हुए कहा ” ट्विटर द्वारा लगातार हमारे बहुजन चिंतकों के अकाउंट सस्पेंड करना इनकी बहुजन विरोधी मानसिकता और आरएसएस की गुलामी को प्रदर्शित करता है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, ट्विटर इंडिया या तो सुधर जाए वरना अपना बोरिया बिस्तर बांध लें .हम तुम्हारे ऑफिस पर ताला लगा देंगे. ”

दिलीप मंडल भारत के कई नामी मीडिया संस्थाओं में काम कर चुके हैं . इंडिया टुडे के पूर्व मैनेजिंग एडिटर के साथ CNBC आवाज़ में बतौर एक्जीक्यूटिव एडिटर के पद पर रह चुके हैं. फ़िलहाल वो ऑनलाइन न्यूज वेबसाइट दिप्रिंट के लिए सामाजिक मुद्दों पर लेख लिखते हैं.
जिस पोस्ट को विवाद शुरू हुआ उसपर पत्रकार दिलीप मंडल ने कहा कि वो पोस्ट कभी नहीं हटेगा. एक और पोस्ट में उन्होंने लिखा, ट्विटर हेड ऑफिस कहां है? मुझे वहां एक मेमोरेंडम देना है कि वे जातिवादी और सांप्रदायिक लोग हैं. भारत के लोकतंत्र को उनसे खतरा हो सकता है, क्योंकि विचारों को कंट्रोल करने के बहुत ज्यादा ताकत गलत लोगों के हाथों में आ गई है.

बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के राजनीतिक सलाहकार रह चुके संजय यादव ने भी ट्विटर के फ़ैसले पर तंज कसते हुए लिखा , भारत की 85% आबादी की आवाज उठाना जिसमें वंचित समूह शामिल है , यह अपराध नहीं है. यह आपके समुदायिक मानकों के खिलाफ कैसे आया ?

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