सर्जिकल स्ट्राइक- एक साल पराक्रम बेमिसाल, वह दिन जिस पर दुनिया करती है गर्व
दुनिया की सबसे बड़ी सेनाओं में से एक भारतीय सेना के पराक्रम शौर्य और बलिदान का लोहा यूँ तो पूरी दुनिया जानती और मानती है लेकिन आज का यह दिन भारत के हर नागरिक के लिए ऐतिहासिक दिन है. आज के ही दिन पिछले साल भारत ने आतंकवाद के आका पाकिस्तान को उसकी सीमा में घुस कर सबक सिखाया था. यह बदला था उस कायराना आतंकी हमले का जिसे जम्मू के उड़ी सेक्टर में आतंकवादियों ने अंजाम दिया था,यह बदला था देश में जवानों को खोने के बाद उपजे गुस्से का, यह बदला था जवानों कि शहादत को व्यर्थ न जाने देने वाले वादे का, यह बदला था आतंकवाद को जवाब देने का, यह बदला था पडोसी को भारतीय सेना के पराक्रम की ताकत, हौसले, स्वाभिमान, शौर्य और बलिदान को दिखाने का, यह बदला था दुनिया को भारत के बदलते स्वरुप को बताने का, जो अब शांति के साथ घर में घुस कर भी हमला करने में सक्षम है और दृढ इक्षा शक्ति से किसी भी मोर्चे पर फतह हासिल कर सकता है.
क्या था ऑपरेशन-
इस ऑपरेशन को सर्जिकल स्ट्राइक के नाम से जाना जाता है. ऐसा नहीं है इस काम को भारतीय सेना ने पहली बार अंजाम दिया था लेकिन उस समय और समय की मांग के अनुसार आतंकवाद को मुहतोड़ जवाब देते हुए सेना का यह सबसे बड़ा अभियान माना गया था. आपको बता दें कि इससे पहले भी भारत की सेना ने म्यांमार की सीमा पार कर सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया था. हालांकि वह अभियान स्थानीय नागरिकों की सुरक्षा और उग्रवादियों को सबक सिखाने के मकसद से किया गया था जबकि पाकिस्तान में की गई सर्जिकल स्ट्राइक जवानों की शहादत का बदला लेने और देश के नागरिकों के भावनाओं कि क़द्र करते हुए की गई थी.
क्या हुआ फायदा-
सरकार कि मज़बूरी कहें या जनता का आक्रोश इन सब बातों से फर्क नहीं पड़ता, फर्क पड़ा इसके अंजाम से यही वजह है कि अब तक कश्मीर में कई आतंकी घटनाओं को विफल किया गया, पत्थरबाजी की घटनाओं में कमी आई है, 200 से ज्यादा आतंकी मारे जा चुके हैं जिसमे कई कुख्यात और बड़े आतंकी शामिल हैं ,सेना को कोई बड़ा नुकसान नहीं उठाना पड़ा साथ ही आतंकी और घुसपैठ कि घटनाओं में कमी आई है. इसके अलावा आतंकी संगठनों को बड़े पैमाने पर नुकसान उठाना पड़ा. हालत ऐसी बनी है कि अब आतंकी संगठनों को नेतृत्व करने वाला कोई नहीं मिल रहा इस बात कि पुष्टि करते हुए जम्मू के डीजीपी एस.पी. वैद्य ने हाल ही में कहा था कि लश्कर-ए-तैयबा में कमांडर की वेकंसी है और तो और पाकिस्तान सीमा पार से गोलीबारी के बाद भारतीय सेना के जवाब से ऐसा बौखलाया हुआ है कि गोलीबारी रोकने की मांग कर रहा है. सर्जिकल स्ट्राइक के बाद पाकिस्तानी बंकरों और सीमा पार से हुई गोलीबारी के जवाब में सेना ने जम कर जवाब दिया यही वजह है कि अब वह सीमा पर जवानों से और अन्तराष्ट्रीय स्तर पर भारत के कुटनीतिक जवाबों से घिर कर खुद को अकेला महसूस कर रहा है.
सर्जिकल स्ट्राइक की कहानी तत्कालीन सेना प्रमुख की जुबानी-
सर्जिकल स्ट्राइक पर एक निजी न्यूज़ चैनल से शौर्य और पराक्रम कि इस गाथा पर बात करते हुए तत्कालीन सेना प्रमुख दलबीर सिंह सुहाग ने बताया कि यह तैयारी 2015 में म्यांमार में हुई सर्जिकल स्ट्राइक के बाद ही शुरू कर दी गई थी. हमें उम्मीद थी कि आने वाले समय में ऐसे ऑपरेशन कि जरुरत पाकिस्तान के प्रति भी पड़ सकती है ऐसे में हमने तैयारी शुरू की और उड़ी हमले के बाद सरकार की ओर से आदेश मिलते ही हमने यह कर दिखाया. इस ऑपरेशन को 200 किलोमीटर के इलाके में कई जगहों में एक साथ एक समय में अंजाम दिया गया था.
सर्जिकल स्ट्राइक के साल भर और रक्षा मंत्री का कश्मीर दौरा-
देश की पहली महिला रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण भी आज सर्जिकल स्ट्राइक के एक साल पूरे होने के मौके पर जम्मू और कश्मीर के दो दिवसीय दौरे पर हैं. इसी क्रम में वह आज श्रीनगर पहुंची.इस दौरे पर जवानों की हौसलाअफजाई करेंगी साथ ही जम्मू में जमीनी स्थिति का जायजा लेंगी और आंकलन करेंगी.इस दौरान वह जम्मू कश्मीर के राज्यपाल और मुख्यमंत्री से मुलाकात कर राज्य कि स्थिति का जायजा भी लेंगी.रक्षा मंत्री के इस दौरे से यह तो स्पष्ट है कि मोदी सरकार कश्मीर को लेकर गंभीर है और आतंकवाद के प्रति सख्ती में कोई कमी नहीं आयेगी.यही जनता की अपेक्षा और उम्मीद भी है.हालांकि अब देखना है कि पूर्णकालिक शांति और सीमा पर सुरक्षा के लिए ऐसे और ऑपरेशन में सरकार का क्या रुख रहता है लेकिन इन सब के बीच पिछले साल 18 सितम्बर 2016 को उड़ी हमले में शहीद जवानों को ह्रदय से नमन साथ ही शौर्य और पराक्रम के धनी भारतीय सेना के जवानों को सलाम.