Republic day special: भारतीय संविधान के रोचक किस्से।

हर साल की तरह इस बार भी भारत अपना 71वां गणतंत्र दिवस 26 जनवरी को माना रहा है। इस खास दिन को देश की राजधानी दिल्ली समेत देश के कोने-कोने में काफ़ी शानदार तरीके से मनाया जाता है। स्कूल-कॉलेजों में इस दिन कई सारे प्रोग्राम आयोजित होते है। इन सबके बीच में हम सबके मन में कई सवाल आता होगा कि आखिर 26 जनवरी को ही हम ‘रिपब्लिक डे’ क्यों मनाते है? भारतीय संविधान कब लिखा गया , कहा रखा जाता है, कैसे बना है ? ऐसे कई सारे किस्से है जो हमारे भारतीय संविधान को दूसरे देशों से अलग बनाते है ।
तो आइए जानते हैं इन किस्से के बारे में|
दरअसल भारत की संविधान सभा ने 26 नवंबर 1949 में भारत के संविधान को स्वीकार किया था,जबकि 26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान पूरे देश में लागू हुआ था। इसी उपलक्ष्य में हर साल गणतंत्र दिवस मनाया जाता है। 26 जनवरी का दिन इसलिए चुना गया क्योंकि 26 जनवरी 1929 को अंग्रेजों की गुलामी के विरुद्ध कांग्रेस ने ‘पूर्ण स्वराज’ का नारा दिया था। इसके बाद से ही इस दिन को चुना गया था।
- पूरी दुनिया में भारत ही ऐसा देश है जहां संविधान को हाथ से बने कागज पर हाथ से लिखा गया है।
- भारतीय संविधान के हर पन्ने पर सोने की पत्तियों वाली फ्रेम बनी है। साथ ही हर अध्याय के आरंभिक पृष्ठ पर एक कलाकृति भी बनाई गई है।
- पहले संविधान की मूल प्रति को फलालेन के कपड़े में लपेटकर नेफ्थलीन बॉल्स के साथ रखा जाता था।
- साल 1994 में संसद भवन के पुस्तकालय में इसे वैज्ञानिक विधि से तैयार चेम्बर में सुरक्षित कर दिया गया।
- संसद भवन के पुस्तकालय में पहले यह देखा गया कि दुनिया के अन्य देशों में संविधानों को किस तरह सुरक्षित रखा जाता है। इस जांच में यह पता चला कि अमेरिकी संविधान सबसे सुरक्षित वातावरण रखा जाता है।
- वॉशिंगटन स्थित लाइब्रेरी ऑफ कांग्रेस में हीलियम गैस के चेम्बर में अमेरिका के एक पेज के संविधान को रखा गया है। इसके बाद अमेरिका के गेट्टी इंस्टीट्यूट, भारत की नेशनल फिजिकल लेबोरेटरी और भारतीय संसद के बीच दरार के बाद भारत में भी गैस चेंबर बनाने की पहल हुई।
- भारतीय संविधान का आकार बड़ा और भारी होता , इसलिए चेम्बर बड़ा बनना पड़ा। इसमें हीलियम गैस रोकने की तमाम कोशिशें नाकाम हो गईं, तो नाइट्रोजन गैस का चेम्बर बनाया गया।
- कागज की सुरक्षा के लिए ऐसी गैस की आवश्यकता थी, जो इनर्ट यानी नॉन-रिएक्टिव हो। नाइट्रोजन नॉन-रिएक्टिव गैस हैं।
- भारतीय संविधान काली स्याही से लिखा है, कहीं ये आसानी से उड़ न जाएं इसलिए इसे बचाने के लिए ह्युमिडिटी 50 ग्राम प्रति घन मीटर के आस-पास गया और इसलिए संविधान के लिए एयरटाइट चेंबर बना।
- ह्युमिडिटी बनाए रखने के लिए चेंबर में गैस मॉनिटर लगाए गए हैं। हर साल चेंबर की नाइट्रोजन गैस खाली की जाती है और संविधान की सेहत जांची जाती है।
हर दो महीने में इस चेम्बर की चेकिंग भी की जाती है। सीसीटीवी कैमरे द्वारा इस पर लगातार निगरानी रहती है।