भारतीय मूल के अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी को मिला नोबेल पुरस्कार .

मुंबई में जन्मे 58 वर्ष में अभिजीत बनर्जी को साल 2019 का नोबेल पुरस्कार मिलेगा. अर्थशास्त्र के क्षेत्र में सराहनीय कार्य करने हेतु उन्हें यह सम्मान मिलेगा. इस सम्मान से नवाजे जाने वाले अभिजीत बनर्जी दूसरे भारतीय मूल नागरिक बने. इसे पहले साल 1998 में अमर्त्य सेन को अर्थशास्त्र के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए दिया गया था.
कोलकाता में रह रहीं अभिजीत बनर्जी की माँ निर्मला बनर्जी भी काफ़ी खुश हैं. उन्होंने कहा कि अर्थशास्त्र हमारे परिवार के डीएनए में भरा है, अभिजीत बनर्जी के माता के साथ साथ उनके पिता भी प्रेसीडेंसी कॉलेज अर्थशास्त्र विभाग के विभाग अध्यक्ष के पद पर कार्यरत थे.
अबतक अभिजीत बनर्जी सहित हिंदुस्तान में पैदा हुए 9 लोगों को नोबेल पुरस्कार दिया जा चुका है. जिसमें रबिंद्रनाथ टैगोर, सीवी रमन और मदर टेरेसा जैसे महान शख्सियत के नाम शामिल हैं.

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इसी साल अभिजीत बनर्जी के साथ उनकी पत्नी एस्थर डुफ्लो और अमरीकी अर्थशास्त्री क्रेमर भी विजेता चुने गए है. इन अर्थशास्त्रियों गरीबी हटाने की दिशा में सालों तक काम किया है .
आमतौर पर भी देश विरोधी कारणों के लिए चर्चा में रहने वाले जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के लिए यह गर्व करने का समय है. क्योंकि साल 1983 में इसी विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के छात्र रह चुके अभिजीत बनर्जी को, विश्व के सबसे महानतम पुरस्कारों में से एक ‘नोबेल पुरस्कार ‘से सम्मानित किया जाएगा. इनके इस गौरवमई सम्मान पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री मोदी, कांग्रेस नेता राहुल गांधी समेत अन्य लोगों ने बधाई दिया.
किसान आंदोलन से जुड़े नेता और स्वराज्य इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने भी अपने सहपाठी के इस उपलब्धि पर हर्ष जताया. दरअसल नोबेल पुरस्कार विजेता विजेता अभिजीत बनर्जी ने साल 1981-83 साथ रहकर अपनी पढ़ाई की.
गौरतलब हो कि अभिजीत बनर्जी ने विश्व भर में सार्वजनिक मंचों से कई बार मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों की आलोचना किया है. लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस की किसानों द्वारा घोषणा किए’ न्याय योजना’ भी अभिजीत बनर्जी के दिमाग की उपज मानी जाती है.