बॉयफ्रेंड होने का मतलब यह नहीं की कोई भी रेप कर सकता है : बोम्बे हाई कोर्ट
रिश्तों को शर्मशार करते हुए जब व्यक्ति ने अपनी ही नाबालिग भतीजी का बार – बार कई यौन शोषण कर उसको प्रेग्नेंट कर दिया. जब उस पर मामला दर्ज हुआ, जेल हुई. जब उसने जमानत के लिए अर्जी दायर की तो उसने दलील दी की पीड़िता के दो आदमियों से यौन सम्बन्ध थे. इसलिए मेने बलात्कार किया.
रेप के एक मामले में दोषी करार दिए गए व्यक्ति द्वारा पीड़ित को शर्मसार करने के लिए जो दलील दी थी उस पर कोर्ट ने कड़ी फटकार लगाई हैं. बॉम्बे हाई कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा की किसी भी लड़की के बॉयफ्रेंड हो सकते हैं. पर किसी को भी उस महिला के साथ जबरदस्ती करने का अधिकार नहीं है.
कोर्ट में दी घटिया दलील हुई ख़ारिज
कोर्ट ने व्यक्ति की उस दलील को खारिज कर दिया जिसमे उसने कहा था की उस लड़की के दो बॉयफ्रेंड हैं, जिनके साथ उसके यौन संबंध थे. इस पर न्यायमूर्ति बदर ने कहा, ‘‘कोई महिला चरित्रहीन हो सकती है लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि कोई भी इसका फायदा उठा सकता है उसका रेप कर सकता है. यह महिला का अधिकार है की उसे किसके साथ सम्बन्ध बनाना हैं.
बॉयफ्रेंड होने से किसी को भी रेप करने का अधिकार नहीं मिल जाता
न्यायमूर्ति बदर ने कहा अगर हम यह बात मान भी ने इस मामले की पीड़िता के दो बॉयफ्रेंड थे तो इससे याचिकाकर्ता को उसके साथ रेप करने का अधिकार नहीं मिल जाता.’ न्यायाधीश ने साथ ही कहा कि घटना उस समय हुयी जब पीडित लडकी नाबालिग थी.
क्या है पॉक्सो कानून
पॉक्सो (प्रिवेंशन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेसेस) बच्चों को यौन उत्पीडऩ से बचाने के लिए साल 2012 में यह कानून बनाया गया था. इसे पारित कराने से पहले महिला और बाल विकास मंत्रालय ने एक सर्वेक्षण किया जिसके अनुसार आधे से ज्यादा बच्चे किसी ना किसी रूप में यौन उत्पीडऩ झेल चुके थे. इसका मकसद बच्चों को एक सुरक्षित माहौल मुहैया कराना और बच्चों के साथ यौन अपराध करने वालों को जल्द से जल्द सजा दिलाना है. बच्चे का शोषण करने वाले को आजीवन कारावास और जुर्माने की सजा तक हो सकती है.