Bodoland Agreement का जश्न मनाने असम पहुंचे नरेंद्र मोदी। जानिए क्या है बोडोलैंड समझौता?

Bodoland Agreement का जश्न मनाने असम पहुंचे नरेंद्र मोदी। जानिए क्या है बोडोलैंड समझौता?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज असम के दौरे पर हैं। नागरिकता संशोधन एक्ट लागू होने के बाद जो विरोध हुआ था उसके बाद प्रधानमंत्री का ये पहला पूर्व क्षेत्र का दौरा है।
दरअसल भारत सरकार और बोडो समुदाय के बीच हुए समझौते के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज पहली बार कोकराझार के दौरे है। कोकराझार के स्थानीय परंपरा के मुताबिक प्रधानमंत्री का स्वागत किया गया और समझौते के लिए लोगो ने पीएम का धन्यवाद भी किया । वह की सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि “इस जगह से मेरा पुराना रिश्ता, लेकिन आज जो उत्साह देखने को मिला है वैसा कभी नहीं मिला। यहां बोडो समुदाय के लोगों से पीएम ने कहा कि मैं आपका हूं, मुझपर भरोसा रखना”।

प्रधानमंत्री आगे भी बोले कि “पूर्वोत्तर में अब अलगाव नहीं, लगाव हो गया है। जब लगाव होता है, तो सभी एकसाथ काम करने के लिए तैयार होते हैं। सरकार ने ब्रू की समस्याओं को समझा और उनका हल निकाला। अब एनएलएफटी ने भी बम-बंदूकों को छोड़ शांति का मार्ग अपना लिया। आप अपने साथी पर विश्वास रखें, ये विश्वास टूटेगा नहीं। प्रधानमंत्री ने अपील करते हुए कहा कि सभी को बैर छोड़ना होगा, हिंसा से कभी कुछ हासिल नहीं हुआ है”।
केंद्र सरकार, असम सरकार और बोडो समूहों ने शांति और विकास के लिए बोडोलैंड समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते का जश्न मनाने के लिए 10 दिनों बाद शुक्रवार यानी आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी असम के कोकराझार पहुंचे।

आइए जानते है कि किस किस समझौते पर हस्ताक्षर हुए?

बोडोलैंड को अब तक आधिकारिक तौर पर बोडोलैंड टेरिटोरियल काउंसिल (बीटीसी) कहा जाता है। नए समझौते के लागू होने के बाद इसका नाम बोडोलैंड टेरिटोरियल रीजन (बीटीआर) हो जाएगा। बीटीआर को अधिक अधिकार दिए जाएंगे। बीटीसी की मौजूजा 40 सीटों को बढ़ाकर 60 कर दिया जाएगा और इलाके में कई नए जिलों का गठन होगा। गृह विभाग को छोड़ अन्य विधायी, प्रशासनिक और वित्तीय अधिकार बीटीआर के पास रहेंगे।
गृहमंत्री अमित शाह के अनुसार, “एनडीएफबी के चार गुटों के साथ दशकों से चले आ रहे संघर्ष की वजह से अब तक 4,000 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है”। एबीएसयू के अध्यक्ष प्रोमोद बोरो ने कहा, “इस समझौते की अहम बात यह है कि यह सशस्त्र आंदोलन समाप्त हो गया। सभी सशस्त्र समूहों का एक साथ आना बड़ी बात है।”
राज्य की मांग के बारे में पूछे जाने पर, बोरो ने कहा कि “एबीएसयू इसका फैसला अपने अगले विशेष सम्मेलन में करेगा”। असम के मंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि “समझौते के साथ राज्य की मांग समाप्त हो गई है। हालाकि एबीएसयू के एक नेता ने कहा, “समझौते में इस बात की चर्चा कहीं नहीं की गई है कि एबीएसयू राज्य की मांग को छोड़ देगा।” समझौते में ये भी कहा गया है, “असम राज्य की क्षेत्रीय अखंडता को अक्षुण्ण रखते हुए उनकी मांगों के लिए एक व्यापक और अंतिम समाधान के लिए बोडो संगठनों के साथ बातचीत की गई।”

बोडोलैंड टेरिटोरियल काउंसिल क्या है ?

यह संविधान की छठी अनुसूची के तहत एक स्वायत्त निकाय थी। पहले दो बोडो समझौते हुए हैं। दूसरे समझौते के बाद बीटीसी का गठन हुआ। 1987 से ABSU के नेतृत्व वाला जो आंदोलन शुरू हुआ था, वह 1993 में बोडो समझौते के बाद समाप्त हुआ। इस समझौते ने बोडोलैंड स्वायत्त परिषद  का मार्ग प्रशस्त किया, लेकिन ABSU ने अपना समझौता वापस ले लिया और एक अलग राज्य की अपनी मांग शुरू की। 2003 में दूसरे बोडो समझौते पर चरमपंथी समूह बोडो लिबरेशन टाइगर फोर्स, केंद्र सरकार और राज्य ने हस्ताक्षर किए थे। इसके चलते बीटीसी हुई थी।

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