सत्याग्रह कर अन्ना ने दी दिसंबर में आन्दोलन करने की चेतावनी, निशाने पर रहे मोदी और केजरीवाल
आज गांधी जयंती की खबरें और इस दौरान आयोजित हुए कार्यक्रम चर्चा में रहे। प्रधानमंत्री से लेकर राष्ट्रपति तक सभी महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देने राजघाट पहुंचे।लेकिन अब जो खबर आज आई है वह देश की राजनीति को फिर गर्म कर सकती है। खबर यह है कि सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे आज राजघाट पर सत्याग्रह कर रहे थे। उन्होंने पत्र के माध्यम से इसकी जानकारी प्रधानमंत्री को भी दी है। इसके अलावा अन्ना ने आज दिल्ली पहुंचते ही संवाददाताओं से बात करते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और प्रधानमंत्री दोनों पर तीखा हमला भी किया है।
आपको बता दें कि इससे पहले लोकपाल बिल की मांग को लेकर अन्ना दिल्ली के जंतर मंतर पर साल 2011 में बड़ा आंदोलन कर चुके हैं।अन्ना ने आज सत्याग्रह की शुरुआत करते हुए कहा कि अगर सरकार अपने वादे के अनुसार काम नही कर सकी और जन लोकपाल बिल पास नही हुआ तो वह इस साल के अंत या अगले साल जनवरी तक एक और आंदोलन की अगुवाई करेंगे।
अन्ना ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि इस बार के आंदोलन में किसी भी राजनीतिक दल का कोई नेता शामिल नही होगा।अगर होता भी है तो मंच पर जगह नही मिलेगी। अरविंद केजरीवाल पर तीखा हमला बोलते हुए उन्होंने कहा कि अब दूसरा केजरीवाल नही बनेगा और अगर इस आंदोलन में केजरीवाल शामिल होना भी चाहें तो मैं उनसे कहूंगा कि दूरी का ध्यान रखें।
केंद्र की मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए अन्ना ने कहा कि सत्ता में आने से पहले बीजेपी ने जो वादा किया था वह तीन साल बीतने के बाद भी पूरा होता नही दिख रहा है। उन्होंने केंद्र सरकार से सवाल करते हुए पूछा कि लोकपाल बिल का क्या हुआ? काल धन लाने का वादा था उसका क्या हुआ? उन्होंने भ्रष्टाचार को खत्म करने के बजाए लोकतंत्र को कमजोर करने पर खेद व्यक्त करते हुए पार्टीतंत्र की मजबूती पर दुख जताया है।
यहां यह भी बताना आवश्यक है कि जब 2011 में अन्ना आंदोलन हुआ था तब केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी और बीजेपी विपक्ष में बैठी थी। उस दौरान बीजेपी के कई बड़े नेता जनता के मूड को समझते हुए अन्ना के मंच पर पहुंचे थे। साथ ही यह वादा भी किया था कि अगर बीजेपी सत्ता में आई तो जन लोकपाल बिल पास किया जाएगा। ऐसे में अन्ना का यह सवाल पूछना लाज़मी भी है। इसके अलावा अन्ना आंदोलन से निकले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के कई मंत्री खुद भ्रष्टाचार सहित कई अन्य मामलों में घिर चुके हैं। इस वजह से केजरीवाल भी बेदाग नही हैं।
अन्ना ने सरकार से यह भी पूछा कि जो वादा बीजेपी ने किसानों से खाद बीज को लेकर,महिलाओं से उनकी सुरक्षा को लेकर और युवाओं को रोजगार देने को लेकर किया था उसका क्या हुआ? अन्ना का यह सवाल आम लोग भी अपने अपने तरीके से उठाते रहे हैं। विपक्ष भी इन मुद्दों पर सरकार को घेर चुका है लेकिन कमजोर विपक्ष कहें या बहुमत का अहंकार मन की बात सुनाने वाले सरकार के मुखिया तक ने इसका जवाब देना भी मुनासिब नही समझा है। ऐसे में यह तो तय है कि अगर अन्ना आंदोलन होता है तो मोदी के लिए 2019 की लड़ाई आसान नही होगी।साथ ही इस मुद्दे पर जनता एक बार फिर खुल कर अन्ना का समर्थन कर सकती है।
इस मुद्दे पर आप अपनी राय कमेंट कर के दे सकते हैं। हम बनेंगे आपकी आवाज और उठाएंगे आपके मुद्दे,पूछेंगे सरकार से सवाल।