पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने लुढ़कते अर्थव्यवस्था पर चिंता जताई, मोदी सरकार के कुप्रबंधन को ठहराया जिम्मेदार.

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह रविवार को वीडियो संदेश में भारतीय अर्थव्यवस्था में गिरावट को लेकर मौजूदा मोदी सरकार के नीतियों की आलोचना की. पिछली तिमाही की पांच प्रतिशत जीडीपी विकास दर को लेकर होने चिंता जाहिर की. उन्होंने कहा कि भारत में तेज़ी से विकास करने की क्षमता है, लेकिन मौजूदा सरकार की गलत प्रबंधन के कारण इस मंदी का सामना करना पड़ा है.
उन्होंने मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर धीमी ग्रोथ रेट को लेकर भी निराशा जाहिर किया. पहली तिमाही में मैनुफैक्चरिंग सेक्टर की ग्रोथ महज 0.6 प्रतिशत रह गई है जो पिछले साल इस समयाविधि में 12.1 फ़ीसदी थी. जिसका सीधा असर नौकरियों और रोजगार पर पड़ता है. हालिया उदहारण देते हुए पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि ऑटोमोबाईल सेक्टर में पिछले दिनों में साढ़े तीन लाख से ज्यादा नौकरियां गईं है . जिसके लिए मोदी सरकार की नीतियां दोषी हैं. उन्होंने अर्थव्यवस्था में आने वाले संकट का अनुमान लगाते हुए कहा इनफॉर्मल सेक्टर में भी बड़े पैमाने पर नौकरियां कम होंगी. जिससे सबसे कमजोर कामगारों को रोजी- रोटी से हाथ धोना पड़ेगा. ग्रामीण भारत के हालात का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा कि किसानों को उनकी फसल का सही मूल्य नहीं मिल रहा है और ग्रामीण आय में भी भारी गिरावट आई है.जिससे 50% से ज्यादा जनसंख्या को दुख पहुंचा है.
नोट बंदी और जीएसटी जैसे फैसलों पर डॉक्टर मनमोहन सिंह खुलकर सामने आए और कहा कि हमारी अर्थव्यवस्था में नोटबंदी और जीएसटी जैसे गलत फैसले लिए गए. ऐसी मानवीय गलतियों कारण ही अर्थव्यवस्था का बुरा हाल है. डॉक्टर सिंह ने कहा कि देश के युवा वर्ग ,किसान खेतिहर मजदूर, उद्यमी और वंचित तबके को बेहतर सुविधाएं मिलनी चाहिए.

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हाल में ही भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा केंद्र की सरकार को दिए गए 1.76 लाख करोड़ रुपए पर पूर्व प्रधानमंत्री बोलते हुए कहा कि इतनी बड़ी राशि सरकार को देने के बाद भी मुश्किल से निकल पाने की आरबीआई की क्षमता की परीक्षा होगी.
कांग्रेस नेता ने सलाह देते हुए कहा कि मैं सरकार से आग्रह करता हूं कि सभी बुद्धिजीवियों एवं विचारकों का सहयोग लेकर इस मानव निर्मित संकट से बाहर निकाले.
वित्त मंत्री ने दिया जवाब.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पूर्व प्रधानमंत्री द्वारा दिए गए नसीहतें पर टिप्पणी करते हुए कहा उन्होंने जो कहा मैंने सुना. आगे आर्थिक मंदी के सवालों का जवाब देते हुए वित्त मंत्री ने कि सरकार कई सारे सेक्टर के संपर्क में है. हर सेक्टर के अलग अलग मुद्दे हैं. इसके लिए हमने 23 अगस्त को कुछ घोषणाएं भी की थीं.सरकार मिलकर इसपर राय-मशविरा कर रही है.

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