Yoga day Special:  कौन से है वो 5 महत्वपूर्ण योग

Yoga day Special:  कौन से है वो 5 महत्वपूर्ण योग

आज की इस भाग दौड़ भरी जिंदगी में लोगों को कई सारी सेहत से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ता है लेकिन इन सभी समस्याओं का रामबाण कहीं ना कहीं योग है । जो व्यक्ति प्रतिदिन योग करता है उन्हें सेहत से जुड़ी  समस्याओं से मुक्ति मिलती है। हर साल की तरह इस साल भी लोगों ने आज योग दिवस मनाया। अब योग सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि दुनिया भर में मशहूर हो चुका है। 21 जून को हर साल योग दिवस मनाया जाता है। आज योग दिवस के उपलक्ष में हम आपको बताने 5 मुख्य आसन बताएंगे जो आप रोज़ कर सकते हैं।

गोमुखासन

दोनों पैर सामने फैलाकर बैठें। बांए पैर को मोड़कर एड़ी को दाएं नितम्ब के पास रखें। दांए पैर को मोड़कर बांए पैर के ऊपर इस प्रकार रखें कि दोनों घुटने एक दूसरे के ऊपर हो जाएं। दाएं हाथ को ऊपर उठाकर पीठ की ओर मोड़िए और बांए हाथ को पीठ के पीछे नीचे से लाकर दांए हाथ को पकड़िए। ध्यान रहे कि इस अवस्था में आपकी गर्दन और कमर दोनो सीधी रहे। एक तरफ से लगभग एक मिनट तक करने के पश्चात दूसरी तरफ से भी ये आसन इसी प्रकार करें। इस आसन को करते समय ध्यान रखें कि जिस ओर का पैर ऊपर रखा जाए उसी ओर का (दाए/बाएं) हाथ ऊपर रखें। ये आसन धातुरोग, स्त्री रोगों में भी लाभकारी है। यह यकृत, गुर्दे और वक्ष स्थल को मज़बूती देता है। संधिवात, गाठिया को भी दूर कर ये आसन मनुष्य को स्वस्थ रखने में मदद करता है।

 

सर्वांगासन

दरी या कहें योगा मैट बिछाकर पीठ के बल लेट जाएं। दोनों पैरों को धीरे-धीरे उठाकर 90 डिग्री तक लाएं। बाहों और कोहनियों की सहायता से शरीर के निचले भाग को इतना ऊपर ले जाएं कि वह कन्धों पर सीधा खड़ा हो जाए। पीठ को हाथों का सहारा दें। हाथों के सहारे से पीठ को दबाएं। कंठ से ठुड्डी लगाकर यथाशक्ति करें फिर धीरे-धीरे पूर्व अवस्था में पहले पीठ को ज़मीन से टिकाएं फिर पैरों को भी धीरे-धीरे सीधा करें। इसके नियमित अभ्यास से थायराइड सक्रिय और स्वस्थ होता है। इसके अलावा मोटापा, दुर्बलता, कद वृद्धि की कमी और थकान आदि जैसी समस्याएं दूर होती हैं।

 

योगमुद्रासन 

ज़मीन पर पैर सामने फैलाकर बैठ जाएं। बाएं पैर को उठाकर दांई जांघ पर इस प्रकार लगाइए की बांए पैर की एड़ी नाभि के नीचे आए। दांए पैर को उठाकर इस तरह लाइए की बांए पैर की एड़ी के साथ नाभि के नीचे मिल जाए। दोनों हाथ पीछे ले जाकर बाएं हाथ की कलाई को दाहिने हाथ से पकड़ें। फिर श्वास छोड़ते हुए सामने की ओर झुकें। अब नाक को ज़मीन से लगाने का प्रयास करें। हाथ बदलकर यह क्रिया करें। पुनः पैर बदलकर इस आसन की पुनरावृत्ति करें। सुंदर दिखने की चाह रखने वालों के लिए ये आसन किसी वरदान से कम नहीं है। इसके नियमित अभ्यास से चेहरा सुन्दर, स्वभाव विनम्र और मन एकाग्र होता है।

 

उदाराकर्षण

 

काग आसन में बैठ जाइए। हाथों को घुटनों पर रखते हुए पंजों के बल उकड़ू बैठ जाइए। पैरों में लगभग सवा फुट का अंतर होना चाहिए। श्वास अंदर भरते हुए दांए घुटने को बांए पैर के पंजे के पास टिकाइए और बांए घुटने को दांई तरफ झुकाएं। गर्दन को बांई ओर से पीछे की ओर घुमाइए और पीछे देखिए। कुछ देर रुकें फिर सांस छोड़ते हुए बीच में आ जाइए। इसी प्रकार इसे दूसरी तरफ से भी दोहराएं। यह शंखप्रक्षालन की एक क्रिया है। सभी प्रकार के उदर रोग तथा कब्ज मंदागिनी, गैस, अम्ल पित्त, खट्टी-खट्टी डकारों का आना और बवासीर आदि निश्चित रूप से दूर होते हैं। आंत, गुर्दे, अग्नाशय और तिल्ली संबंधी सभी रोगों में लाभप्रद है।

 

स्वस्तिकासन

 

बाएं पैर को घुटने से मोड़कर दाहिनी जांघ और पिंडली के बीच इस प्रकार स्थापित करें कि बाएं पैर का तल छुप जाए। इसके पश्चात दाहिने पैर के पंजे और तल को बाएं पैर के नीचे से जांघ और पिंडली के मध्य स्थापित करें। यह स्वस्तिकासन की मुद्रा है। अब ध्यान मुद्रा में बैठें और रीढ़ सीधी कर श्वास खींचकर यथाशक्ति रोकें। इस प्रक्रिया को पैर बदलकर भी करें। इसके नियमित अभ्यास से पैरों का दर्द और पसीना आना दूर होता है। नियमित अभ्यास से पैरों के गर्म या ठंडेपन की शिकायत भी दूर होती है। ध्यान लगाने के लिए यह आसन सबसे अच्छा है।

 

 

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