गर्भधारण के बाद करवाने चाहिए ये टेस्ट

जैसे ही गर्भ धारण होता है. ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहता. पर वही दूसरी और  मन में बहुत सारे सवाल खड़े हो जाते हैं. जैसे की बच्चे की धड़कन आई की नहीं, बच्चे को कोई अनुवांशिक बीमारी तो नहीं, गर्भ में बच्चे की ग्रोथ सही है या नहीं. बच्चे को किसी प्रकार की शारीरिक अक्षमता तो नहीं है आदि बातें. जिनकी वजह से मन में थोड़ा डर लगा रहता है. अपने डर को इन जांचों को करवाकर आप तसल्ली पा सकते हैं. मन की इन्ही शंकाओं ने निजात पाने के लिए डॉक्टर कई प्रकार की जांचे करता है.

 

शिशु की हार्ट बीट- जब एक बार बच्चे की हार्ट बीट आ जाती हैं तो १५-३० दिन के अंतराल पर आपको डॉक्टर के पास जाकर चेक करवाते रहना चहिये. ऐसा करने से गर्भ में बच्चे के स्वास्थ्य रहने का पता चलता रहता है.

ब्लड टेस्ट-  खून की जांच से यह पता लगाया जाता है कि आपके शरीर में हीमोग्लोबिन  का लेवल क्या है और कम होने पर से कैसे बढ़ाये इसका उपाय कर सके. अगर शरीर में खून की कमी होगी तो बच्चे और माँ दोनों को समस्याए हो सकती हैं.

HIV  टेस्ट – गर्भ धारण के बाद स्त्री एड्स की जांच भी बहुत जरुरी है. क्योकि माँ – बाप को एड्स है. तो बच्चे को इससे बचा सकते हैं.

डायबिटीज टेस्ट – ग्लूकोस स्क्रीनिंग टेस्ट वह होता है जिससे यह पता चल सके कि प्रेगनेंसी  के दौरान आपको डायबिटीज तो नहीं है. क्योकि डायबिटीज गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए परेशानी पैदा कर सकती है.

शुरूआती ३ महीने में करवाने वाले टेस्ट – यूरिन टेस्ट, ब्लड से होने वाल टेस्ट, एसटीडी,Rh फैक्टर टेस्ट.

NIPT टेस्ट- जो की नोवे सप्ताह में होता है इसमें यह देखा जाता है की महिला के शरीर में कोई भी तकलीफ या क्रोमोसोमस की संख्या में कोई परेशानी तो नहीं हैं.

CVS  टेस्ट- यह टेस्ट दस से तरह सप्ताह के बीच होता है. इसमें बच्चे के बढने के कारण गर्भाशय से सम्बंधित कोई परेशानी तो नहीं हो रही हैं. यह देखा जाता हैं.

NT टेस्ट- जो की ग्यारह से १४ हफ्ते के बीच होता है. जिसमे बच्चे की स्थिति, और उसके आकार के बारे में अच्छे से बताया जाता हैं.

इसके बाद भी समय समय पर टेस्ट होते रहते हैं, जिससे बच्चे और माँ दोनों ठीक है या नहीं यह मालुम चलता है. गर्भ धारण के बाद हमेशा डॉक्टर के संपर्क में रहे. 

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